दिखाई नही देती लेकिन पुरे सृष्टि मै बिराज मान है। हर जगह खोजते है लेकिन सबकी दिल मै ही वह निबास करते हैl जिसको हम ईश्वर कहते है । उसी ईश्वर ने प्रेम नामक मधुर शब्द का रचना की। इस दुनिया मै प्रेम सै बड़ा कोई नही है।प्रेम मै अनतं शक्ति है ।जिस शक्ति को दुनिया का कोई भी शक्ति हरा नही सकते। प्रेम मै इतना शक्ति है कि उस शक्ति को अनुमान भी लगाया नही जा सकता।
एक अन्तरापुर नामक छोटे से गावँ थे। उस गावँ मै एक छोटी सी घर मै एक अभीनव नामक आदमी परिबार समैट रहता था । गावँ मै गरीबी का पाहाड़ छाया था । पीने के लिए पानी तक मिलना मुस्किल था। ना गावँ के बच्चे पड़ने के स्कुल था। ना बिमारी का इलाज करने के लिए हस्पताल था। छटी सी एक साधारन बीमार होने पर ही बिमारी को इलाज नही मिलने पर लोग मरते है।
एक अन्तरापुर नामक छोटे से गावँ थे। उस गावँ मै एक छोटी सी घर मै एक अभीनव नामक आदमी परिबार समैट रहता था । गावँ मै गरीबी का पाहाड़ छाया था । पीने के लिए पानी तक मिलना मुस्किल था। ना गावँ के बच्चे पड़ने के स्कुल था। ना बिमारी का इलाज करने के लिए हस्पताल था। छटी सी एक साधारन बीमार होने पर ही बिमारी को इलाज नही मिलने पर लोग मरते है।
अभीनव एक अच्छे और नेक इन्सान थे । वह इस बिषय को लेकर बहुत ही परेशान थे। इसिलिए वह अपनी एकलती बेटी अनुपमा को जैसै भी करके पढा लिखाकर डाक्टर बनाने का फैसला किया। और सैहेर मै पढने के लिए बेटी को भेज दिया ।
सेहर मै बिनोद नाम का एक लड़के के सात अनुपमा सै मुलाकात हुवा। लड़के का घर सहर मै ही था और वह एक छोटा मोटा कारोबार चलाता था। बिनोद अनुपमा की सोन्दर्य को देख कर मोहित हो गया।और अनुपमा जब कलेज जाता था तब बिनोद अनुपमा सै मिलने के लिए रास्ते पर इन्तेजार करता था। अनुपमा को भी बिनोद सै मिलकर खुसी होती थी। धीरे धीरे दोनो का मिलना बढता गया। एक दुसरे को चाहने लगे । एक दीन अचानक बिनोद को बिना बाताए अनुपमा अपने गावँ चला गया। हर दिन की तरह बिनोद अनुपमा सै मिलने के लिए रास्ते मै इन्तेजार कर रहा था। लेकिन अनुपमा नही आए। दुसरे दिन भी इन्तेजार किया उस दिन भी अनुपमा नही आए। तीसैरे दिन बिनोद उसके कलेज चला गया।कलेज मै भी अनुपमा को नही देखकर उसके अन्तर मै बहुत दुख हुवा।उसने सोचा कि वह एसा किया गलती की जिसके कारन अनुपमा ने उसे धोका देकर चला गया।बिनोद दुखी होकर कलेज से अपने घर जा रहा था। तभी रास्ते मै अनुपमा की सहेलीया अनुपमा के बारे मै बाते कर रहा था । और बिनोद उसे सुनकर रहा नही गया और सीधे अनुपमा कहा गया ,कियोँ गया उसे जानने के लिए अनुपमा के सेहेलियो के पास चला गया। सेहैलियो के पास जाकर बिनोद ने अनुपमा के बारे मै पुछा ?उसे देखकर सेहैलियो ने कहाँ तुम कोन हो और अनुपमा के बारे मै कियोँ जानना चाहते हो? तो बिनोद ने सबकुछ खुलकर उन दोनो के प्यार के बारे मै बाता दिया। तब सेहेलियो ने बिनोद को अनुपमा के गाँव का नाम और घर का पता बता दिया।
सेहर मै बिनोद नाम का एक लड़के के सात अनुपमा सै मुलाकात हुवा। लड़के का घर सहर मै ही था और वह एक छोटा मोटा कारोबार चलाता था। बिनोद अनुपमा की सोन्दर्य को देख कर मोहित हो गया।और अनुपमा जब कलेज जाता था तब बिनोद अनुपमा सै मिलने के लिए रास्ते पर इन्तेजार करता था। अनुपमा को भी बिनोद सै मिलकर खुसी होती थी। धीरे धीरे दोनो का मिलना बढता गया। एक दुसरे को चाहने लगे । एक दीन अचानक बिनोद को बिना बाताए अनुपमा अपने गावँ चला गया। हर दिन की तरह बिनोद अनुपमा सै मिलने के लिए रास्ते मै इन्तेजार कर रहा था। लेकिन अनुपमा नही आए। दुसरे दिन भी इन्तेजार किया उस दिन भी अनुपमा नही आए। तीसैरे दिन बिनोद उसके कलेज चला गया।कलेज मै भी अनुपमा को नही देखकर उसके अन्तर मै बहुत दुख हुवा।उसने सोचा कि वह एसा किया गलती की जिसके कारन अनुपमा ने उसे धोका देकर चला गया।बिनोद दुखी होकर कलेज से अपने घर जा रहा था। तभी रास्ते मै अनुपमा की सहेलीया अनुपमा के बारे मै बाते कर रहा था । और बिनोद उसे सुनकर रहा नही गया और सीधे अनुपमा कहा गया ,कियोँ गया उसे जानने के लिए अनुपमा के सेहेलियो के पास चला गया। सेहैलियो के पास जाकर बिनोद ने अनुपमा के बारे मै पुछा ?उसे देखकर सेहैलियो ने कहाँ तुम कोन हो और अनुपमा के बारे मै कियोँ जानना चाहते हो? तो बिनोद ने सबकुछ खुलकर उन दोनो के प्यार के बारे मै बाता दिया। तब सेहेलियो ने बिनोद को अनुपमा के गाँव का नाम और घर का पता बता दिया।
तीसरै दिन ही बिनोद अन्तरापुर गावँ के लिए रवाना हो गया। और माता पिता को भी साथ मै ले गया। गावँ पहँचते ही सड़क के किनारे खड़ा हुवा एक लड़के को अनुपमा के घर का पता पुछा ।
और सीधे चल परा अनुपमा के घर। अनुपमा ने थोड़ी देर के लिए बिनोद और उनके परिवार को देखकर खुसी से मारे पागल हो गया ।और सबको अन्दर बुलाकर बेठनै के लिए कहाँ। अनुपमा ने घर की सभी सदस्य से बिनोद और उनके परिवारो के साथ पैहचान करवाया। दोनो परिवारो मै बात -चित हुवा,चाय ,नासता किया ।उसके बाद बिनोद ने अनुपमा को पुछा कि उसे बिना बाताए कियोँ कलेज सै चली आए? और तुम्हारी पढाई भी तो पुरी नही हुई।अनुपमा ने उसका कोई भी प्रश्न का उत्तर नही दिया और निराश होकर अन्दर चला गया। तब अनुपमा के पिता ने सबकुछ बाता दिया कि वे अपनी लड़की को डाक्टर बनाना चाहता था ।उस हिसाब से अनुपमा भी मन लगा कर पढ़ाई की थी ।लेकिन उसकी बसकिस्मत वह आगे पढ़ाई के लिए कर्जा नही उठा सकते ।इसिलिए अनुपमा को गावँ बुला लिया ।
और सीधे चल परा अनुपमा के घर। अनुपमा ने थोड़ी देर के लिए बिनोद और उनके परिवार को देखकर खुसी से मारे पागल हो गया ।और सबको अन्दर बुलाकर बेठनै के लिए कहाँ। अनुपमा ने घर की सभी सदस्य से बिनोद और उनके परिवारो के साथ पैहचान करवाया। दोनो परिवारो मै बात -चित हुवा,चाय ,नासता किया ।उसके बाद बिनोद ने अनुपमा को पुछा कि उसे बिना बाताए कियोँ कलेज सै चली आए? और तुम्हारी पढाई भी तो पुरी नही हुई।अनुपमा ने उसका कोई भी प्रश्न का उत्तर नही दिया और निराश होकर अन्दर चला गया। तब अनुपमा के पिता ने सबकुछ बाता दिया कि वे अपनी लड़की को डाक्टर बनाना चाहता था ।उस हिसाब से अनुपमा भी मन लगा कर पढ़ाई की थी ।लेकिन उसकी बसकिस्मत वह आगे पढ़ाई के लिए कर्जा नही उठा सकते ।इसिलिए अनुपमा को गावँ बुला लिया ।
बिनोद के परिवार को भी इस बात को लेकर दुख हुवा । और बोला मैरे बेटे और आपकी बेटी एक दुसरे सै प्यार करता है तो इसीलिए आपकी बेटी का हाथ मैरे बेटे के लिए मागंता हुँ ।आपलोगो की किया राय है?
तब अनुपमा के पिताजी बोला कि --डाक्टर तो नही बना सके अब घर पर बेठ कर किया करेगा शादी दे देना ही अच्छा है मैरे तरफ से कोई रूकावत नही है । अनुपमा सै भी एक बार पुछ लोँ।
अनुपमा ने कहाँ कि वे डाक्टर बनने के बाद ही शादी करेगा नही तो शादी नही करेगा ।
तब बिनोद ने कहाँ कि--में तुम्हे पढ़ाउगां और डाक्टर बनाने के बाद ही शादी करुगां ।
तब बिनोद ने कहाँ कि--में तुम्हे पढ़ाउगां और डाक्टर बनाने के बाद ही शादी करुगां ।
इस फैसले को सुनकर अनुपमा के पिताजी और अनुपमा बहुत खुस हुवा । लेकिन बिनोद के पास भी इतना नही थे । जो अनुपमा को डाक्टर पड़ा सके। फिरभी बोला आज से अनुपमा की पढ़ाई सारा खर्चा में उठाउंगा। इए बोल कर बिनोद और उसके परिवार अपने घर केलिए निकले।
बिनोद ने बहुत कोशिस करने के बाद भी ज्यादा पैसो का इन्तेजाम नही कर पाता था।इसलिए उसने अपना सबकुछ बेच दिया।
२ साल बाद ----
अनुपमा एक बड़ा हस्पताल मै नकरी कर रहा है।
और इधर बिनोद उसकी प्यार मै पागल कि तरह रहता था। ३महीनो से अनुपमा के घर से कोई भी खबर
नही आ रहा था । इसीलिए बिनोद ने अनुपमा से मिलने के लिए अनुपमा के घर पहँच गया। वहाँ जाकर अनुपमा को देखकर बिनोद को बहुत आनन्द मिला। लेकिन अनुपमा के मन मै बिनोद के लिए पेहले जैसा प्यार नही था और बाते भी अच्छी तरह सै नही कि। तभी बिनोद सक हो गया कि अनुपमा बदल गया। इसीलिए बिनोद ने अनुपमा और कुछ भी नही बोला और अपने घर जाने के लिए निकले। उसी समय अनुपमा ने कहाँ कि मुझे माफ कर देना मै तुमसै शादी नही कर सकता मुझे भुल जाउ।
बिनोद गुस्से मै बोला कियोँ किया एसा मेरै साथ । किया गलती थी मेरी ? अनुपमा नै बोला गलती तुम्हारी नही तुम्हारे मुर्खामी की है। किया किया तुमने इस दो साल मै कहीँ भी अच्छी सी नकरी भी धुन्द नही सका। कोई काम भी नही करते ।रहने के लिए अच्छी सी घर भी नही है ।मै तुम्हारे साथ शादी किया तो लोग हसैगें। और मै अब एक सरकारी डाक्टर हुँ।
अनुपमा एक बड़ा हस्पताल मै नकरी कर रहा है।
और इधर बिनोद उसकी प्यार मै पागल कि तरह रहता था। ३महीनो से अनुपमा के घर से कोई भी खबर
नही आ रहा था । इसीलिए बिनोद ने अनुपमा से मिलने के लिए अनुपमा के घर पहँच गया। वहाँ जाकर अनुपमा को देखकर बिनोद को बहुत आनन्द मिला। लेकिन अनुपमा के मन मै बिनोद के लिए पेहले जैसा प्यार नही था और बाते भी अच्छी तरह सै नही कि। तभी बिनोद सक हो गया कि अनुपमा बदल गया। इसीलिए बिनोद ने अनुपमा और कुछ भी नही बोला और अपने घर जाने के लिए निकले। उसी समय अनुपमा ने कहाँ कि मुझे माफ कर देना मै तुमसै शादी नही कर सकता मुझे भुल जाउ।
बिनोद गुस्से मै बोला कियोँ किया एसा मेरै साथ । किया गलती थी मेरी ? अनुपमा नै बोला गलती तुम्हारी नही तुम्हारे मुर्खामी की है। किया किया तुमने इस दो साल मै कहीँ भी अच्छी सी नकरी भी धुन्द नही सका। कोई काम भी नही करते ।रहने के लिए अच्छी सी घर भी नही है ।मै तुम्हारे साथ शादी किया तो लोग हसैगें। और मै अब एक सरकारी डाक्टर हुँ।
बिनोद ने रोते हुए कहाँ। बस मै सबकुछ समझ गया मै जा रहा हुँ और कभी तुम्हारे पास नही आउगां। इए बोल कर बिनोद चला गया।
२महीने बाद बिनोद बीमार हो गया और विस्तर से उठ नही सकता था । बिनोद के माता पिता ने उसै हस्पताल मै भर्ति किया।उसी हस्पताल मै ही अनुपमा नकरी करती थी। और अनुपमा ने ही उसका सिकिस्या किया सिकिस्या करते समय पता चला कि उसका एक किडनि नही है ।अनुपमा घबरा गया और बिनोद के माता पिता को इस बारे पुछा ।
तब उसे बिनोद के माता-पिता ने कहाँ -- बेटी तुम्हारे पढ़ाई के लिए पैसो का इन्तजाम नही कर पाता था । इसीलिए उन्होने अपना एक किडनी बेच दिया। और कहाँ था अनुपमा जब डाक्टर बन जाएगा तो मुझे वह ठीक करेगा।
इस बात को सुन कर अनुपमा ने बिनोद के माता पिता के पैर पकड़ कर रोने लोगा। और माफी मंगा। और माता पिता ने कहाँ उसे बिनोद पास जाने कहाँ । और अनुपमा दोरती हुई बिनोद के पास गया और उसके सर को बाहोँ मै लेकर रोते हुए माफी मांगी। बिनोद ने कहाँ कियोँ रो रही हो ।गलतिया सबकी होते है ।लेकिन उसे सुधारनेका एक बार मका देना चाहिए।
अनुपमा ने फिर से बोली मुझे माफ कर दो बिनोद अब मै तुम्हे कभी छोड़ कर नही जाउंगा।।
अनुपमा ने फिर से बोली मुझे माफ कर दो बिनोद अब मै तुम्हे कभी छोड़ कर नही जाउंगा।।
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